आज का विचारः विचार शिचार की छोड़ धँधे की
बात कर
मैने एक किस्सा सुना था कि एक सड़क के किनारे एक आदमी को चक्कर आ गये और वो इस कारण से गिर गया। अब हर आदमी सलाह दे रहा है कोई कह रहा कि मिर्गी आ गई है इसे जूता सुंघाओ,कोई कह रहा था इसे पानी पिलाओ। वगैरह वगैरा। तभी भीड़ में से एक बुढिआ बोली इसे खीर खिलाओं।
ये सुनते ही वो बेहोश आदमी बोला “अरे इस बुढिया की भी कोई सुन लो”
आजकल सब लोग ईलाज के नामपर ही मार रहें हैं।
आजकल हर चारासाज* बीमारी की दुआ करे.
मरता क्या न करे, जीने की तमन्ना न करे।
*डाक्टर
मेरी कफन बेचने की दुकान है, और
मरना तो सभी को है एक दिन, मेरे पिछवाड़े क्यों न मरे।
…………
कितने लोग जमा हो गए गमख्वारी मेरी,
गम बांटने से घटाया जा सकता है क्या
मुंह सम्भालूं या बचाऊं, ईमान से,
एक छींक से रूखसती का रास्ता बदला जा सकता है क्या।
उसका रास्ता काटना, बहुत नागवार गुजरता है,
मेरे महबूब का शौके-बिल्ली पालना हक अदा करता है क्या।
………………..