आज का विचारः तीन तलाक क्यों?
हम तो ये समझे थे कि चौथा,
निकाह हो रहा है।
आधी दलीलों पर जिया जा रहा है,
इन रहनुमाओं पर खुदा रो रहा है।
हम तो समझे थे बरसात में बरसेगा बादल,
ये क्या हुआ कि पानी तेजाब हो रहा है।
नुस्खा मर्ज़ के हिसाब से चारासाज़ ने लिखा,
मर्ज़ और मरीज़ छूटें, सुना है तिमारदार से तलाक हो रहा है।
तीन तलाक एक सामाजिक बुराई के साथ औरतों के साथ अन्याय भी है. इसलिए इसे धर्म का हिस्सा नहीं माना जाना चाहिए. ऐसे ही बहु-विवाह एवं ज्यादा बच्चौ से सम्बंधित भी एक कानून बनना चाहिए जो सभी तबकों पर लागु हो.
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Preferably one country one law
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