Even my Dreams have that dignity.

Even my Dreams have that dignity.

यमराज एक दिन घर आए। थके हारे थे। मैंने उनकी सेवा की। खाना खिलाया।रात को सोने से पहले दूध भी पिलाया।
सुबह यमराज उठे और जाते हुए कहने लगे “खाना अच्छा था। धन्यावाद।”
फिर मेरी ओर हाथ बढ़ाया,मुस्कराए जैसे पूछना चाह रहे हों कि कुछ चाहिए।
मैने भी मुस्कुराते हुए जवाब दिया “हम जिसे जिन्दगी देते हैं उससे कभी कुछ माँगते नहीं।”
आप से बलवान तो समय है उनसे इल्तिजा करेंगे। कुछ काम आपका भी हल्का हो जाए शायद।

और उस दिन मेरा एक और ख्वाब टूट गया।

यमराज भी मेरी बात को हंसकर टाल गया।

कीमत तो बीमारी की है दवा की नहीं है, अच्छे भले को,भला कोई दवा बेचता है।।

नेकी कर, बिना देखे वो झोलियाँ भर देगा, ये जो गुनहगार हैं उन्हे खुदा देखता है।।

कीमत तो बीमारी की है दवा की नहीं है,
अच्छे भले को, भला कोई दवा बेचता है।।

खूबसूरती उसमें है कि तुम्हे तुम्हारे हाशिए से जान जाएं दुनिया।।

खूबसूरती बनावट है, क्षणभंगुर* होती है हो जाए,
मैं बस इतना चाहता हूं कि हमको एक दूसरे की आदत हो जाए।

* क्षणिक, अल्पकालिक या अस्थायी।

पक्ष और विपक्ष में एक ही फर्क है, एक में ‘WE’ silent है, दूसरे में बोलता बहुत है

विपक्ष एक खेमा है : पार्टियां पासा बदलती हैं
केवल तुम धोखे में हो कि बदली चांद बदलती है।

आलोचना* करने में अच्छी लगती है,
समीक्षा* में आधा पानी भरती हैं।

आओ डूब मरे चुल्लू भर पानी में,वहां केवल कहावत मरती है,
गहरे पानी पैंठ गये तो सबकी जान निकलती है।

वक्त गुज़र जाए तो याद करना और याद कराने में इतना ही फर्क है, जितना उड़ती गौरैया पर हाथ रखना, फिर उसके पर गिनाने में लगता है।

ये चिड़िया ऐसे नहीं बंध सकती जैसे बांध रखी है,
#Me_Too मुझे भी उसकी मास मज्जा की समझ है जिसने नींव अपने चुनाव* पर रखी है।

*पक्ष का ये पक्ष है इसमें कोई राजनीति तो नहीं,

कोर्ट से सही हस्तपेक्ष की सबने उम्मीद लगा रखी है।

My eyes face to face, not close but near to mirror.

मैने अपनी नज़र बचाके खुद से खुद का एक कमरा,
अपने अजनबी-पन को किराए पर दे रखा है।
वो ज़माने को afford कर भी पाएगा या नहीं
देखना कभी।

वो अन्दर ही अन्दर कितना बड़ा हो चुका है,
कभी दरवाज़ा खुलेगा तो फिर मेरा बड़प्पन देखना कभी।

न जाने वो परिभाषा किसी सांचे में ढलेगी भी
या नहीं
उसे ना मानने की आदत है न मनाने का सलीका,
मेरे अन्दर का वो अजनबी सब समझता है दिखता नहीं है
अभी कमरे में बन्द है लाँच होगा देखना कभी।