फल टूटने के बाद वृक्ष को फल याद नहीं रहता,
मुझमें और वृक्ष में सिवाय इसके कोई अन्तर नहीं रहता।
मेरे अंदर भी एक जंगल रहता है
कोई शहर नहीं रहता।
मुद्दतों से एक श्मशान है मेरे शहर में,
यहां बसने वाला खप जाता है बसाया नहीं जाता।
वसीयत पढ़कर बांट दी जब कुनबे को,
मैं अकेला बच गया फिर आदमी कहीं का नहीं रहता।
जब तक्सीम हुई तो मेरा एक भाई उधर रह गया,
जंग हुई तो बस कब्रिस्तान और श्मशान था, आदमी आदमी नहीं रहता।