Don’t fire the dry leaves

अंधेरे से रौशनी में जाना चकाचौंध होना,

फिर रौशनी में जाना कि कुछ नहीं जाना।

एक तरफ आग है किसी क्रान्ती को जाना,

अन्न सारा डकार कर वो तेरा परौलियां जाना।

टटिहरी – एक पक्षी

टटिहरी

बचपन की बात है। शुद्ध और सच्ची बात है।

आंगन में सोते थे। एक टटिहरी कभी कभी रात को उड़ते-२ ट्री ट्री की आवाज करती थी। मैं पूछता था मां से कि क्या ये रोती है। मां कहती थी ये प्यासी है। जा नलका खोल दे‌। नीचे पत्थर पर पानी गिरेगा। पानी की बूंदे छिटकेंगी। उसकी प्यास बुझेगी उसे मोती मिल जाएगा।

आज मुद्दतों बाद देर रात बाद मुझे फिर वही ट्री ट्री की आवाज़ सुनाई दी। शायद इसलिए कि बाहर कर्फ्यू का माहौल था कोई शोर नहीं था। मै हड़बड़ा कर उठा। उठकर मैने वाशबेसिन का नलका खोल दिया। वो आवाज़ आती रही।शायद धार मुलायम थी सिन्क मुलायम था। पानी छिटक नहीं रहा था।

फिर मैं एक पत्थर लाया गुसलखाने के नलके के नीचे रखा और जोर से नलका खोल दिया। पानी मोतियों कि तरह छिटक रहा था। टटिहरी की वो आवाज़ भी धीरे धीरे तृप्त हो गयी थी। शायद……..

पलक झपकते ही ख्वाब बदल जाता है,

इश्क का क्या है कुछ आता है न जाता है।।

नज़र ज़रूर लगती होगी,मानों या न मानों

इक इल्तिज़ा है काला टीका लगाने में क्या जाता है।।

वो मुझे रूढ़िवादी समझता है,

कागा बोले हिचकी आए तू मुझे याद करता है तेरा बताने में क्या जाता है।।

कल ही टटीहरी प्यासी रो रही थी रात को,

मेरा पत्थर पर पानी गिराने से कोई प्यासा तृप्त चला जाता है।

There could be several meaning of this write up.  If we can help someone dying peacefully, we should help making is easier and peaceful.  Let go gently into the air!  

Statue never wore the clothes thyself

बड़ी मुद्दत से  रोया नहीं हूं मैं

दिमाग system की एक command भुलाए बैठा है।

ये system कभी सनम को कृत्रिम नहीं मानता,

एक वो है जो दिल को पत्थर बनाए बैठा है‌।

किस की चलेगी जब किरदार character से निकलकर

एक नंगा मुजस्सम* खुदासे नाराज़ बैठा है।

*शरीरधारी

सच्चा आशिक आवारा हो सकता है, वो लौटकर आएगा कोई मरदूद नहीं है।

पढ़ा-लिखा इश्क नामाकूल नहीं है,

पढ़ा लिखा इश्क गर महदूद नहीं है

नामाकूल-अनुपयुक्त, अनुचित।

महदूद-सीमित। मरदूद -dead या निकाला हुआ