ये शब्द किसी ने कहे थे याद रह गये।  साथ कौन उम्र भर रहता है।।

फल पक चुका है गिरने को है,
कौन उठाएगा इस जवानी को.

श्रृंगार आज  सादगी से कह रहा है 
क्या नाम दूँ इस कहानी को ।

जब मैंने श्रृंगार से पूछा सादगी क्या है,
भोर जब अंगड़ाई ले तो देख ज़रा दीवानी को.

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